कॉमन नाम: रुगोस स्पा यरलिंग व्हािइटफ्लाई (सफेद मक्खीे)
वैज्ञानिक नाम: एल्यूारोडिकुस रुगियो परकुलुटस (हेमिप्टेफरा: एल्यूकरोडिडा)
मूल: यह माना जाता है कि इसकी उत्प त्ति मध्यल अमेरिका में हुई थी और इसका आपतन व प्रकोप मध्या एवं उत्तरी अमेरिका में बेलीजी, मैक्सिको, ग्वा टेमाला और फ्लोरिडा तक सीमित है।
फैलाव: तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, आंध प्रदेश, गोवा और असम।
परपोषी पादप: नारियल, केला, आम, सपोता, अमरूद, काजू, मक्काू, रामफल, तेल ताड़, भारतीय बादाम, वाटर एप्पअल, अनानाश और कई अन्यल सजावटी पौधे, जैसे कि बॉटल पॉल्मय, इंडियन शॉट, फाल्स बर्ड ऑफ पैराडाइज़, बटरफ्लाई पॉल्मस।
नुकसान की प्रकृति: इसके निम्फप एवं वयस्कब पत्तियों को, विशेष रूप से छोटी पत्तियों (लीफलेट) के अंदरूनी भाग से प्रत्यफक्ष रूप से रस चूस लेते हैं। इसके वयस्कि बड़ी मात्रा में मधु अवशिष्टी (हनी ड्यू एक्स्क्रिशन) पैदा करते हैं जिससे पत्ती का ऊपरी भाग सूटी मोल्डव विकास के कारण पूर्ण रूप से काला पड़ जाता है और फसल बर्वाद हो जाती है।
परपोषी पादपों के डंठल और युवा नट्स सहित अनेक भागों पर एक विशेष प्रकार के कॉनसेंट्रिक वैक्सीं स्पाटयरलिंग लक्षण दिखाई पड़ते हैं। जहां इस नाशीजीव का संक्रमण ज्या दा होता है, इसके वयस्कों द्वारा उत्पा दित मोमी गुम्फसमय पदार्थ मानवों का हानि पहुंचाता है।
